संजय ग्रोवर की ग़ज़लें
मंज़िलों की खोज में तुमको जो चलता सा लगा
मुझको तो वो ज़िन्दगी भर घर बदलता सा लगा
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वो मेरा ही काम करेंगे
जब मुझको बदनाम करेंगे
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रोहित कुमार ‘हैप्पी’ की ग़ज़लें
इल्ज़ाम जमाने के हम तो हँस के सहेंगे
खामोश रहे हैं ये लब खामोश रहेंगे
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तेरा हँसना कमाल था साथी
हमको तुमपर मलाल था साथी
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हास्य-काव्य
आराम करो- गोपालप्रसाद व्यास
एक मित्र मिले, बोले, "लाला, तुम किस चक्की का खाते हो?
इस डेढ़ छटांक के राशन में भी तोंद बढ़ाए जाते हो।
क्या रक्खा माँस बढ़ाने में, मनहूस, अक्ल से काम करो।
संक्रान्ति-काल की बेला है, मर मिटो, जगत में नाम करो।"
हम बोले, "रहने दो लेक्चर, पुरुषों को मत बदनाम करो।
इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो।
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काका हाथरस्सी का हास्य काव्य
यमराज का इस्तीफा -अमित कुमार सिंह
एक दिन
यमदेव ने दे दिया
अपना इस्तीफा।
मच गया हाहाकार
बिगड़ गया सब
संतुलन,
करने के लिए
स्थिति का आकलन,
इन्द्र देव ने देवताओं
की आपात सभा
बुलाई
और फिर यमराज
को कॉल लगाई।
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पिछले अँक से
सुदर्शन फ़ाकिर की ग़ज़ल
आदमी आदमी को क्या देगा
जो भी देगा वही ख़ुदा देगा
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कुँअर बेचैन की ग़ज़लें
दो चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए
सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए
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उँगलियाँ थाम के खुद चलना सिखाया था जिसे
राह में छोड़ गया राह पे लाया था जिसे
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चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया
पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया
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रोहित कुमार 'हैप्पी' की ग़ज़लें
एक ऐसी भी घड़ी आती है
जिस्म से रूह बिछुड़ जाती है
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कच्चा-पक्का मकान था अपना
फिर भी कुछ तो निशान था अपना
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वक्त के साथ तो हर शख्स बदलता है मगर
मर्द कहलाते जमाने को बदल देते अगर
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ना हमको दिया कुछ ना हमसे ले गए
खाली हाथ आए खाली चले गए
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कविताएं
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है - हरिवंशराय बच्चन
प्रतीक्षा - हरिवंशराय बच्चन
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