Supported By : Rajesh Bhigasra S/of Sh. Jaiveer Singh, VPO Jandwala Bagar, Distt. & Teh. Fatehabad, Haryana,125053
Saturday, May 14, 2011
इल्तज़ा
इक इल्तज़ा है तुमसे
के मेरे दोस्त बन जाओ
और मुझे महोब्बत न करो…..
ये तमन्ना है के मेरी ज़िन्दगी में आओ
और मुझे महोब्बत न करो…….॥
सिवा तुम्हारे कुछ सोचूँ मैं नहीं
सोचता हूँ बता दूं
मगर रूबरू जब तुम हो तो कुछ बोलूं मैं नहीं…
काश ऐसा हो के
मैं तुम,तुम मैं बन जाओ
और मुझे महोब्बत ना करो……॥
अक्सर देखा है
महोब्बत को नाकाम होते हुए
साथ जीने के वादे किए
फिर तनहा रोते हुए…….
जो हमेशा साथ निभाए..वो तो बस दोस्ती है
जो कभी ना रूलाए..वो तो बस दोस्ती है……..
यूँ ही देखा है बचपन की दोस्ती को बूढा होते हूए
ना किए कभी वादे..पर हर वादे को पूरा होते हूए…॥
ये तमन्ना है के मेरी ज़िन्दगी में आओ
और मुझे महोब्बत न करो…
ये इल्तज़ा है के मेरे दोस्त बन जाओ
और मुझे महोब्बत न करो……॥
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