Wednesday, May 18, 2011

लैला – मजनू की ( हास्य – कविता )

एक रात मुझे सोते – सोते एक बड़ा हसीन सपना आया !



किसी ने आधी रात को मेरे घर का दरवाजा खटखटाया !


मैंने कहा यार इतनी रात को ये कौन कमबख्त चला आया !


दरवाजा खोला तो अपने सामने फटे पैजामे मैं एक व्यक्ति को खड़ा पाया !


उसे देखकर हमें बड़ा गुस्सा आया, हमने अपनी सूजी आँखों को खुजलाया !


मगर लाख कोशिशों के बाद भी मैं उस अनजाने को पहचान न पाया !


हमें उस अनजान को देखकर चिढ तो बहुत आई !


मगर जल्द ही हमें अपनी गांधीवादी संस्कृति याद आई !


हमने अपने मन मैं आई दुर्भावना मन मैं ही दबाई !


और बड़े प्यार से पूछा आप कौन है मेरे प्यारे भाई !


आप को हमारी नींद ख़राब करते हुए जरा भी शर्म न आई !


वो बड़े ही नजाकत से बोला अस-सला-अलेकुम सचिन भाई !


हमारे मन को उनका ये मखमली, नजाकती लहजा बड़ा भाया !


हम बोले माफ़ करना भाईसाहब मैं आपको पहचान नहीं पाया !


बो बोला पहचानोगे कैसे सदियों बाद इस धरती पर आया हूँ !


खाकसार को मजनू कहते हैं और साथ मैं लैला को भी लाया हूँ !


उनके साथ खड़ी लैला को देखकर मेरी बुद्धि जोर से चकराई !


अबे ये भूतपूर्व प्रेमियों की हिट जोड़ी आज मेरे घर कैसे चली आई !



मैंने दोनों का अभिवादन कर कहा आप अन्दर तो आइये !


और परी – लोक से भू-लोक मैं आने का कारण बताइए !


मजनू बोले, क्या बताऊँ भाई लैला कई दिनों से मुझसे लड़ रही थी !


और कमबख्त धरती पर घूम कर आने की जिद पकड़ रही थी !


कहती थी चलो मजनू धरती पर घूमने जाते हैं !


और कलयुगी प्रेमियों की दशा जान कर आते हैं !


इस बीच लैला ने पहली बार अपनी जुबान की खिड़की खोली !


आप हमें आजकल के प्रेमियों के बारे मैं बताइए मुझसे ये बोली !


मैं बोला लैला आपा ऐसे तो मैं आपको ज्यादा क्या बता पाऊंगा !


मगर आप हमारे मेहमान है सो बिना बताये भी नहीं रह पाउँगा !


चलिए मैं अपने दिमाग की बुझी हुई बत्ती फिर से आपके लिए जलाता हूँ !


और लैला मजनू के साथ पाठकों को भी Modern प्रेमियों की कथा सुनाता हूँ !






प्रथम अध्याय प्रारंभ






अब पहले की तरह लैला मजनू की याद मैं नहीं रोती है !


क्योंकि 24 घंटे उसके पास मजनू की जानकारी होती है !


मजनू जमाने के पत्थर खाने के बाद जहाँ भी जाता है !


तुरंत मोबाइल से लैला को अपने पिटने की दास्तान सुनाता है !


अपने 2500 Megha Pixel कैमरे से अपने तन के जख्म दिखाता है !


और फ़ोन पर ही इन जख्मों पर लैला की लाखों पप्पियाँ पाता है !


लैला भी अब कोई “पत्थर से ना मारो मेरे दीवाने को नहीं गाती है ”


“लैला, लैला की जवानी”, “लैला बदनाम हुई मजनू तेरे लिए गाती है” !


उसे कम कपड़ों मैं देख मजनू को छोड़ पब्लिक उसके पीछे पड़ जाती है !


अब मजनू को चिट्ठी भेजने को नहीं जरुरत किसी कबूतर की !


30 रूपए मैं चाहे जितने SMS करो जरुरत है सिर्फ एक पैसे की !


मजनू अब अब लैला का नाम कहीं जमीन पर नहीं लिखता है !


किसी और का भेजा SMS तुरंत लैला को Forword करता है !


अब लैला मजनू अकेले नहीं, Net पर Chat का समूह बनाते हैं !


बातों – बातों मैं कोई पटी तो पटी वर्ना E – Freind कहलाते हैं !


Modern लैला मजनुओ को अब सरकारी मान्यता भी प्राप्त है !


एक बार कोर्ट मैं जाने पर समझो घरवालों की सीमा समाप्त है !


सरकार कह रही है अब शादी के बिना भी प्रेमी एक साथ रहें !


शादी से पहले ही Product इस्तेमाल करे फिर विश्वास करें !


और आजकल की Modern लैलायें भी क्या गजब ढा रही हैं !


टीवी चेनल्स पर ही मजनुओ का लोयल्टी टेस्ट करा रही हैं !


और जो मजनू फेल हुआ उसमे सरे आम सेंडिल जमा रही हैं !


और टीवी पर ये प्रायोजित कार्यक्रम दिखाकर अपनी TRP बढ़ा रही हैं !


ये कमबख्त मजनू भी पिटने के बाद सीधे रान्झाओं के पास जा रहे है !


और फिर दोनों मिलकर आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ गा रहे हैं !


इन दोनों का प्यार देखकर लैलाओं के भाव भी अब कुछ नीचे आ रहे हैं !


लैला हीर से कहती है देख सखी ये कल्मुये कैसे दोस्ताना बना रहे हैं !






द्वितीय अध्याय प्रारंभ










MODERN लैला-मजनू की इतनी कथा सुनकर लैला और मजनू थोडा सा घबरा गए


आजकल की लैला के कपडे देख थोडा शर्मा गए !


मजनू बोला modern लैलाओं के कपडे कहाँ गए !


दरजी ने कपडा खा लिया या मशीन मैं फंसकर उधड गए !


मैं बोला लैला आपा लाल दुपट्टे भी अब नहीं लहरा रहे हैं !


ये तो बस अब लैलाओं के मुंह छिपाने के काम आ रहे हैं !


Modern मजनू लैलाओं पर पैसे भी खूब लुटा रहे हैं !


बाप की गाढ़ी कमाई से पीजा और Ice Cream खिला रहे हैं !


लैलाओं को भी ऐसे ही मालदार मजनू बहुत भा रहे है !


बाकी आपसे फटेहाल मजनू आज भी JJ पर धक्के खा रहे हैं !


इतनी कथा कहने के बाद मैंने कहा आगे कथा और सुनेंगे !


या फिर कल मेरे साथ चलकर ऐसे प्रेमियों से खुद मिलेंगे !


ये सुनकर दोनों एक स्वर मैं बोले न ही सुनेंगे न ही मिलेंगे !


आपका बहुत – बहुत शुक्रिया जनाव अब हम वापस निकलेंगे !


हमारा एक दिन का ही वीसा था वर्ना हम वापस परीलोक न जा पायेंगे !


और आपकी कथा सुनने के बाद हम इस भू लोक मैं भी न रह पायेंगे !


जाते जाते मजनू जी हमें अपना Branded कुरता थमा गए !


धन्य थे वे लैला मजनू जो सदा के लिए दुनिया के दिलों मैं समां गए !


RAJESH BHIGASRA

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