Sunday, May 22, 2011

सपने उनके सच होते हैं जिनके सपनों में जान होती है!



सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है !!


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तालीम नहीं दी जाती परिंदों को उडनें की !


वो तो खुद ही समझ जाते हैं ऊंचाई आसमानों की !


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गिरते हैं शेरे सवार ही मैदाने जंग में !


वे क्या खाक गिरेंगे जो घुटनों के बल चलें !!


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ये सीडियाँ उन्हें मुबारक जिन्हें छत पर जाना है !


जो आसमा की आरजु रखते हैं, उन्हें अपना रास्ता खुद बनाना है !!


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मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा चाहिए !


कि दाना ख़ाक में मिलकर गुल-ए-गुलज़ार होता है !!


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ये खामोश जिन्दगी हमे जीने नहीं देगी !


अगर इस दुनिया मे रहना है तो कोहराम मचा दो यारों !!


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किनारों से नाखुदा मुझको दूर ही रख !!


ले चल मुझे वहां जहाँ तूफ़ान उठते हो !

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