सपने उनके सच होते हैं जिनके सपनों में जान होती है!
सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है !!
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तालीम नहीं दी जाती परिंदों को उडनें की !
वो तो खुद ही समझ जाते हैं ऊंचाई आसमानों की !
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गिरते हैं शेरे सवार ही मैदाने जंग में !
वे क्या खाक गिरेंगे जो घुटनों के बल चलें !!
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ये सीडियाँ उन्हें मुबारक जिन्हें छत पर जाना है !
जो आसमा की आरजु रखते हैं, उन्हें अपना रास्ता खुद बनाना है !!
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मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा चाहिए !
कि दाना ख़ाक में मिलकर गुल-ए-गुलज़ार होता है !!
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ये खामोश जिन्दगी हमे जीने नहीं देगी !
अगर इस दुनिया मे रहना है तो कोहराम मचा दो यारों !!
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किनारों से नाखुदा मुझको दूर ही रख !!
ले चल मुझे वहां जहाँ तूफ़ान उठते हो !
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