Wednesday, May 18, 2011

पत्थर की दुनिया

पत्थर की इस दुनिया मैं इंसान ढूंढता हूँ


अपनों के बीच मैं खुद की पहचान ढूंढता हूँ

यों तो दर्द से भरे चेहरे दुनिया मैं मिलते हैं बहुत

जो रूह को दे सुकूँ किन्ही लवों पे वो मुस्कान ढूंढता हूँ

पत्थर की इस दुनिया मैं इंसान ढूंढता हूँ

**************************************************



किसी को देखकर न मचलें ख्वावों मैं भी कभी

अरमानों की इस दुनिया मैं ऐसा अरमान ढूंढता हूँ

जिसका अरमान किया दिल ने,

हो सकें उसके पूरे अरमान जहाँ,

उसकी खातिर अरमानों का वो जहान ढूंढता हूँ

पत्थर की इस दुनिया मैं इंसान ढूंढता हूँ

**************************************************

न डरा किसी आंधी से कभी, न रुका किसी तूफ़ान मैं कभी

बिना पंखों के ही छू सकता था वो ऊंचा आसमान मैं कभी ,

वक्त की आंधी मैं कहाँ उड़ गई अपनी वो उड़ान ढूंढता हूँ

पत्थर की इस दुनिया मैं इंसान ढूंढता हूँ





**************************************************





कभी हर वक्त रहता था जो हमराह मेरे,

उजाले लगते थे कभी जिन्दगी के अँधेरे ,

भीड़ मैं कहाँ खोया मेरा वो मेहरवान ढूंढता हूँ

यों तो पत्थरों की पूजा किया करता हूँ हर रोज ही मगर,

जो अब तक किसी को मिला नहीं मैं वो भगवान ढूंढता हूँ

पत्थर की इस दुनिया मैं इंसान ढूंढता हूँ



अपनों के बीच मैं खुद की पहचान ढूंढता हूँ

No comments: