Saturday, May 14, 2011

दिल मैं हम बस जाएँगे,

दिल मैं हम बस जाएँगे,



तमन्ना हो अगर मिलने की, तो बंद आँखों म नज़र आएँगे.


लम्हा लम्हा वक़्त गुज़ेर जाएँगा,


चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा,


आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे,


कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा.


पास आकर सभी दूर चले जाते हैं,


हम अकेले थे अकेले ही रह जाते हैं,


दिल का दर्द किससे दिखाए,


मरहम लगाने वेल ही ज़ख़्म दे जाते हैं,


वक़्त तो हमें भुला चुका है,


मुक़द्दर भी ना भुला दे,


दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते,


क्यू के डरते हैं,कोई फिर से ना रुला दे,


ज़िंदगी मैं हमेशा नये लोग मिलेंगे,


कहीं ज़ियादा तो कहीं कम मिलेंगे,


ऐतबार ज़रा सोच कर करना,


मुमकिन नही हर जगह तुम्हे हम मिलेंगे.


ख़ुशबो की तरह आपके पास बिखर जाएँगे,


सुकों बन कर दिल मे उतर जाएँगे,


मेहसूस करने की कोशिश तो कीजिए,


दूर होते हो भी पास नज़र आएँ
                                                    Rajesh Bhigasra
 
 
 dosti


आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे,
क्या करे हमारी पसंद ही कुछ “ख़ास” है. .


चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता,
तोह चाँद की चाहत किसे होती.
कट सकती अगर अकेले जिन्दगी,
तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती.


कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना,
इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना,
जब दिल उब जाए हमसे तोह बता देना,
न बताकर बेवफाई मत करना.


दोस्ती सची हो तो वक्त रुक जता है
अस्मा लाख ऊँचा हो मगर झुक जता है
दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट,
अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी झुक जता है.
दोस्ती वो एहसास है जो मिटती नही.
दोस्ती पर्वत है वोह, जोह झुकता नही,
इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे,
यह वो “अनमोल” मोटी है जो बिकता नही . . .


सची है दोस्ती आजमा के देखो..
करके यकीं मुझपर मेरे पास आके देखो,
बदलता नही कभी सोना अपना रंग ,
चाहे जितनी बार आग मे जला के देखो ………………..

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